Liquid Water On Mars: आज से कोई 107 लाख साल पहले, एक एस्टेरॉयड मंगल ग्रह से टकराया था. उससे फूटी चट्टानों में से एक धरती पर आ गिरी. उल्कापिंड के उस टुकड़े ने हमें मंगल पर तरल पानी की मौजूदगी का सबूत दिया है.
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Science News: आज से अरबों साल पहले, मंगल ग्रह पर कल-कल पानी बहा करता था. वैज्ञानिकों ने एक करोड़ सात लाख साल पुराने उल्कापिंड से इस बात का पता लगाया है. यह उल्कापिंड एक एस्टेरॉयड के मंगल से टकराने पर निकला था और धरती पर आकर गिरा. मंगल की वह चट्टान अमेरिका के इंडियाना राज्य में गिरी थी. 1931 में वह चट्टान को परड्यू यूनिवर्सिटी के ड्रॉर में मिली और तब उसे Lafayette Meteorite नाम दिया गया. यह उस ड्रॉर में कैसी पहुंची, यह अब तक रहस्य है. बहरहाल, वैज्ञानिकों ने उस चट्टान का एनालिसिस कर उम्र का पता लगाया है, उन्हें यह भी पता चला कि यह बनी कैसे. एनालिसिस के नतीजे Geochemical Perspective Letters में छपे हैं.
उल्कापिंड के टुकड़े से मंगल के बारे में क्या पता चला?
सबसे पहले, रिसर्चर्स ने यह तय करने की कोशिश की कि यह चट्टान बनी कब थी. स्टडी की लीड ऑथर, मारिसा ट्रेम्ब्ले के मुताबिक, 'हमने इन खनिजों की आयु का पता लगाया और पाया कि ये 742 मिलियन साल पहले बने थे.' ट्रेम्ब्ले का मानना है कि उल्कापिंड में जो खनिज मौजूद हैं, वे मंगल ग्रह पर तरल पानी से प्रतिक्रिया के चलते बने होंगे.
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मंगल पर पानी कहां से आया?
ट्रेम्बले की टीम ने उल्कापिंड की उम्र तय करने के लिए खनिजों में रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स की मात्रा मापी. ऐसा करने की पिछली कोशिशों पर पृथ्वी पर अन्य प्रक्रियाओं का असर पड़ा था. यानी पहले की रिसर्च में कुछ न कुछ दिक्कतें रहीं. ऑर्गन के आइसोटोप्स पर फोकस करके टीम को सबसे सटीक उम्र तय करने में मदद मिली.